किस्मत की लकीरें...
वो दोनों बचपन से साथ थे । साथ में खेलना , बदमाशियां करना , साथ में स्कूल जाना सब साथ में । दोनों का घर एक ही मोहल्ले में था । थोड़ी - थोड़ी दूर पर ही उनका घर था । दोनों के पिताजी काम की तलाश में अपने - अपने गांव को छोड़ कर शहर आये थे। दोनों की मुलाकात एक स्टेशन में हुई और जान पहचान बनी । दोनों अपने - अपने परिवार के साथ थे । वहीं पर उन दोनों की मुलाकात हुई नन्हा सा सूरज पास में ही बैठकर कपड़े से बने गेंद को खेलती चंदा पर गई ्।वो भी चंदा के पास जाकर खेलने लगा । तब दोनों की उम्र दो से तीन साल की थी । वो दिन हैं और आज का दिन है । दोनों की दोस्ती अब कायम है । एक दिन उन दोनों को साथ में देखकर सूरज के पिताजी ने कहा - यार भानू , एक बात कहनी है तुझसे !
भानू - हां बोल ना इसमें पूछने वाली क्या बात है ।
सूरज के पिताजी - उधर देखो जरा , दोनों साथ में कितने अच्छे लगते हैं। दोनों को साथ देखकर एक ही ख्याल आ रहा है । क्यूं ना दोनों का रिश्ता तय कर दे । दोनों एक दूसरे को जानतें भी है और एक दूसरे को समझते हैं । और हम दोनों परिवार मिलकर रहते हैं। इनका रिश्ता तय हो जाने से हम एक ही परिवार के हो जायेंगे। दोस्त से हम रिशतेदार बन जायेंगे।
भानू - मैं कब से यह सोच रहा था । आज तुमने मेरी दिल की बात कह दी ।लेकिन इन दोनों की उम्र अभी छोटी है । क्या अभी रिश्ता तय करना ठीक रहेगा ?
सूरज के पिताजी - रिश्ता ही तय कर रहें हैं ।्शादी थोड़ी तय कर रहें ।
भानू - ठीक है , कल ही दोनों का रिश्ता तय कर देते हैं । दोनों ने तय किया ।। अगले दिन दोनों की कम में ही रिश्ता तय कर दिया गया ।
ये सब चीजें सूरज और चंदा को समझ में नहीं आ रही थी । लेकिन घर वालों के कहने पर की तुम दोनों का रिश्ता तय कर रहें हैं। जिससे तुम दोनों कभी अलग नहीं होगे और हमेशा साथ में रहोगे । दोनों ने सुना तो खुश हो गये और इस रिश्ते के लिए मान गये । रिश्ते की विधि पूरी होने पर पास में ही बैठी चंदा को देखकर सूरज कहने लगा ।
सूरज - ये सब कितना अजीब है ना ! मुझे तो गर्मी लग रही हैं ।
चंदा - हां मुझे भी , अच्छा एक बात बताओ तुम मान क्यों गये । क्या तुम्हारे बाबा ने मिठाई का लालच दिया था तुम्हें !
सूरज - नहीं तो , उन्होंने कहा था कि , इस रस्म के बाद हम हमेशा साथ में रहेंगे ।। इसलिए मैं मान गया , कितना अच्छा होगा ना कि हम हमेशा साथ रहेंगे ।
चंदा - तुम कभी मुझे भूला तो नहीं दोगे ना ! अगर मैं तुमसे दूर चली गई तो ?
सूरज - कभी नहीं , क्या कोई सांस लेना भूल सकता है ।मेरे लिए तुम उतनी ही ज़रूरी हो जितना मेरे लिए सांस लेना है । लेकिन तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो ।
चंदा उदास होते हुए बोली - आज बाबा बता रहे थे । उनके मालिक उन्हें दूसरे शहर भेज रहे हैं । हम कल ही ये शहर छोड़कर जाने वाले हैं । पता नहीं फिर कब मिलेंगे ।
सूरज उसकी बातें सुनकर कहने लगा ।
सूरज उदास होते हुए - तुम फ़िक्र बिल्कुल मत करो हम जरूर मिलेंगे हमारा रिश्ता जो तय हो गया है ।
दोनों मुस्करा उठे .... अगले दिन चंदा का परिवार अपने शहर को छोड़कर दूसरे शहर जा बसे । समय धीरे-धीरे बीत रहा था , हफ्ते , महीने , साल । इन सालों में सूरज ने चंदा को हमेशा अपने यादों में सजा कर रखा ।उधर चंदा का भी यही हाल था ।चंदा के पिताजी दूसरे शहर जाकर एक सफल इंसान बन गये । कहते हैं सफलता को सम्भावना सबके बात नहीं है । ऐसा ही कुछ चंदा के पिताजी के साथ भी हुआ । सफलता अपने साथ अंहकार को साथ लाई । अब उन्होंने चंदा और सूरज के रिश्ते को भूलकर । चंदा के लिए अमीर घर के रिश्ते ढूंढने लगे । लेकिन चंदा को यह मंजूर नहीं था । उसने एक फैसला किया और एक चिट्ठी लिखकर अपना घर छोड़ दिया। और अपने पुराने शहर सूरज को ढूंढने लगी । लेकिन उसे सूरज का पता नहीं चला । क्योंकि उन्होंने अपनी पुरानी जगह बदल कर नये जगह चले गए थे । चंदा सूरज को ढूंढते - ढूंढते थक गई थी और अब रात भी हो रही थी ।
एक अकेली लड़की रात में सूनसान जगह पर अकेली चली जा रही थी । उसे अब समझ नहीं आ रहा था कि सूरज को कैसे ढूंढ़ा जाये । वो जा ही रही थी कि , रास्ते में कुछ अपराधिक प्रवृत्ति के कुछ लड़के चंदा का पीछा करने लगे । पहले तो चंदा ने ध्यान नहीं दिया । लेकिन जब उन लोगों पर ध्यान गया । चंदा को घबराहट होने लगी । उसने अपने आसपास देखा कोई भी नहीं था । उसने अब अपने चलने की रफ्तार बढ़ा दी । उसके पीछे लगे लड़के भी अपनी गति बढ़ा दी थी । चंदा डर कर अब भागने लगी थी । वो पीछे देखकर भाग रही थी कि किसी से टकरा गई । वो गिरने ही वाली थी कि , किसी ने उसे थाम लिया । चंदा ने डरकर अपनी आंखें बंद कर लीं थीं । उन लड़कों ने जब सामने खड़ शख्स को देखा तो डरकर वहां से नौ - दो ग्यारह हो गये थे । उन लोगों को जाने तक देखने के बाद उस शख्स ने चंदा को देखा और बस देखता ही रह गया । इस वक्त चंदा , सूरज की बांहों में थी । उसने जब अपनी आंखें खोलकर देखी तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ । पुलिस की वर्दी पहने सूरज उसे थामें खड़ था । किस्मत की लकीरों में दोनों का साथ लिखा था । जल्दी नहीं देर से ही सही पर दोनों का साथ था ।
समाप्त
Seema Priyadarshini sahay
06-Jul-2022 10:39 AM
बहुत खूबसूरत रचना
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Saba Rahman
06-Jul-2022 12:25 AM
Nice
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Renu
05-Jul-2022 11:40 PM
👍👍
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